उत्तराखंड जनमंच की गांधीगिरी
अमर उजाला के स्थानीय संपादक को बुके भेट किया
उत्तराखंड जनमंच ने गांधीजी के सिद्धांत ‘‘पाप से घृणा करो ,पापी से नहीं’’ को आत्मसात करते हुए अन्य संगठनों के सामने अहिंसक प्रतिरोध का उदाहरण पेश किया है। अमर उजाला के देहरादून संस्करण में जनमंच का समाचार प्रकाशन योग्य नहीं माना जाता है। कई बार ऐसा हुआ कि या तो जनमंच की खबर छपती नहीं या फिर दो-चार लाइनों में निपट जाती है। जबकि दिल्ली में जंतरमंतर पर मात्र पांच सौ साधुओं के जुट जाने पर सभी संस्करणों में एक पूरा पेज समर्पित कर दिया गया। उत्तराखंड जनमंच ने संपादक की चमचागिरी करने के बजाय पहाड़ के स्वाभिमानी संगठन की तरह पहाड़ की जनता की ओर से जनमंच के कार्यकारी अध्यक्ष शशिभूषण भट्ट और प्रदेश उपाध्यक्ष आनंद चंदोला ने खबरें न छापने के उपलक्ष में स्थानीय संपादक को पुष्प गुच्छ भेंट किया। साथ ही उन्हे बाकी समाचारपत्रों द्वारा 18 जून को प्रकाशित समाचारों की प्रतियां भी सादर भेंट की गईं। यह गांधीवादी रास्ता है जिसके जरिये उ त्तराखंड जनमंच अमर उजाला के देहरादून संस्करण के मन से जनमंच के प्रति नफरत क्ी भावना को धोना चाहता है।इस मौके पर जनमंच के कार्यकारी अध्यक्ष ने स्थानीय संपादक के नाम संबोधित एक पत्र भी सौंपा।
प्रिय महोदय,
उत्तराखंड जनमंच आपके द्वारा दिनांक 18 जून को घंटाघर पर आयोजित प्रधानमंत्री और शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती का पुतला जलाए जाने की खबर हालांकि भाग्यशाली साबित नहीं हो सकी कि आपके प्रतिष्ठित समाचारपत्र में स्थान पाने का सौभाग्य प्राप्त कर पाती। आपके इस कदम से उत्तराखंड जनमंच के कार्यकताओं को नई प्रेरणा मिली है और अपने लक्ष्य को हासिल करने का उनका संकल्प मजबूत हुआ है। हमें यकीन है कि इतिहास हमें सही साबित करेगा। आपसे मिली इस ऊर्जा से हमारे कार्यकर्ता भविष्य में और भी बड़ा प्रदर्शन करेंगे ताकि वे आपके अखबार में अपनी गतिविधियों के लिए स्थान हासिल करने में कामयाब रहें।
उत्तराखंड जनमंच गांधीजी के सि़द्धांतों पर यकीन रखता है इसलिए वह अपने राजनीतिक विरोधियों के प्रति भी सम्मान और आदर भाव रखता है।गांधीजी के इसी सबक पर चलते हुए हम आपके प्रति आभार व्यक्त करते हैं। ईश्वर आपको दीर्घायु प्रदान करे।
आपका शुभेच्छु
शशिभूषण भट्ट
कार्यकारी अध्यक्ष
प्रतिष्ठा में -
श्री विजय त्रिपाठी
स्थानीय संपादक
दैनिक अमर उजाला