Monday, May 28, 2012

Uttrakhand Janmanch News : Janmanch criticises C.M. Uttrakhand


             C.M.'s statement is an attempt
             to be fool the unemployed youth

Uttrakhand Janmanch alleges Chief Minister for fake and baseless promises. Janmanch said that state government is out of money and C.M. is making promises in several hundreds crore. Janmanch disclosed that economic indicators of the state are very poor and state is heading towards bankruptcy. 

 बेरोजगारी भत्ता देने का ऐलान बचकाना- जनमंच
      
                                   पहाड़ को रोजगार अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित करे सरकार

उत्तराखंड जनमंच ने बेरोजगारी भत्ता देने के राज्य सरकार के ऐलान को बचकाना,अगंभीर और हवाई करार दिया है। जनमंच ने कहा है कि राज्य सरकार की हालत उस भिखारी जैसी है जिसकी जेब में खाने के लिए चने के दाने तक नहीं है और वह लोगों में काजू बांटने के वादे कर रहा है। जनमंच के कार्यकारी अध्यक्ष शशि भूषण ने कहा है कि जिस राज्य सरकार के पास अपने कर्मचारियों का वेतन देने को पैसे न हों वह बेरोजगारी भत्ते के लिए हर साल छह सौ करोड़ रु0 कहां से लाएगी। उन्होने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि अगले दस साल में बेरोजगारी भत्ते पर खर्च होने वाले दस हजार करोड़ रुपए कहां से आयेंगे। 
उत्तराखंड जनमंच ने आज यहां जारी एक प्रेस बयान में बेरोजगारी भत्ते के ऐलान को राज्य के लाखों बेरोगारों को बेवकूफ बनाने की कोशिश बताते हुए कहा है कि प्रदेश सरकार को ऐसे सस्ते प्रचार से बचना चाहिए। जनमंच के कार्यकारी अध्यक्ष शशि भूषण भट्ट ने कहा कि राज्य की वित्तमंत्री खजाना खाली होने का रोना रो रही हैं और मुख्यमंत्री मध्यकाल के राजाओं की तरह घोषणाओं की बरसात कर रहे हैं। उन्होने कहा कि राज्य पर 25 हजार करोड़ रु0 का कर्ज है और हर साल उसे ढ़ाई हजार रु0 का कर्ज लेना पड़ रहा है। घोषणा करने से पहले सरकार को राज्य की वित्तीय स्थिति पर श्वेतपत्र जारी करना चाहिए। जनमंच ने कहा कि बेरोजगारों के साथ मजाक करने के बजाय सरकार बेरोगारी दूर करने के लिए स्थायी उपाय करे। उद्योगों में राज्य के बेरोजगारों के लिए 70 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान को कड़ाई से लागू किया जाय और उल्लंघन करने वाले उद्योगों को बाजार दर पर बिजली दी जाय। जनमंच ने कहा कि निजी क्षेत्र और सरकारी क्षेत्र में राज्य में बाहरी राज्यों के बेरोजगारों को रोजगार दिए जाने पर पाबंदी लगाई जाय। उन्ही शिक्षण संस्थाओं, होटलों, शाॅपिंग माॅलों, अस्पतालों को कारोबार करने की अनुमति दी जाय जो 70 प्रतिशत स्थानीय बेरोजगारों को नियुक्ति दें। विश्वविद्यालयों, पीएमजीएसवाई, एडीबी और केंद्र सहायतित योजनाओं में ठेके समेत सभी तरह के काम सिर्फ स्थानीय निवासियों को ही दिए जांय। संविदा पर लगे बाहरी राज्यों के बेरोजगारों को तत्काल हटाया जाय और उनकी जगह स्थानीय बेरोजगारों को नियुक्ति की जाय। अफसरों के पदों में कटौती की जाय और उनकी जगह कर्मचारियों की नियुक्ति की जाय। रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए बिजली परियोजनाओं पर तत्काल काम शुरु कराया जाय। जनमंच के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्र को रोजगार अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित किया जाय और वहां रोजगार सृजन से लेकर सरकारी नियुक्तियों के लिए विशेष अभियान छेड़ा जाय। सरकारी नौकरियों में पहाड़ की शिल्पकार जातियों की पर्याप्त भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए उनके लिए विशेष भर्ती अभियान चलाया जाय। पहाड़ से पलायन रोकने के लिए वहां के हर परिवार के लिए जीवन निर्वाह के साधन सृजित किए जांय। शशिभूषण ने कहा कि सरकार काॅस्मेटिक उपाय करने के बजाय राज्य की बुनियादी आर्थिक सूचकांकों को ठीक करे।

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